भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंग सनातन धर्म में सर्वोच्च स्थान रखते हैं। इन्हीं में से एक है त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga), जो महाराष्ट्र के नासिक जिले से लगभग 30 किलोमीटर दूर त्र्यंबक नगर में स्थित है। धार्मिक मान्यता है कि यहाँ पूजा और जलाभिषेक करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग कहाँ स्थित है?
यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 700 मीटर की ऊँचाई पर, ब्रह्मगिरि पर्वत की गोद में बसा हुआ है। यहीं से पवित्र गोदावरी नदी (गंगा का धरती पर अवतरण) बहना शुरू होती है।
मंदिर के गर्भगृह में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है।
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त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, प्राचीन काल में महर्षि गौतम अपनी पत्नी के साथ ब्रह्मगिरि पर्वत पर तपस्या करते थे। कुछ ऋषियों ने उनके प्रति ईर्ष्या रखते हुए उन पर गौहत्या का झूठा आरोप लगाया।
इस पाप से मुक्ति पाने के लिए गौतम ऋषि ने कठोर तप किया और भगवान शिव को प्रसन्न किया। उनकी प्रार्थना पर शिवजी ने मां गंगा को पृथ्वी पर अवतरित किया और स्वयं भी यहीं पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।
इसके बाद माँ गंगा ने गोदावरी नदी के रूप में प्रवाह किया, जिसे आज भी गौतमी गंगा कहा जाता है।
त्र्यंबकेश्वर का महत्व और कालसर्प दोष निवारण
त्र्यंबकेश्वर मंदिर को विशेष रूप से कालसर्प दोष और पितृ दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध माना जाता है। कहा जाता है कि यहाँ विधिपूर्वक पूजा करने से न केवल पापों का क्षय होता है, बल्कि जीवन में शांति और समृद्धि भी आती है।
भक्त सावन के महीने में यहाँ विशेष रूप से आते हैं। सावन सोमवार पर यहाँ जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने का अनंत फल मिलता है।
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त्र्यंबकेश्वर मंदिर दर्शन और यात्रा जानकारी
· स्थान: त्र्यंबक, नासिक, महाराष्ट्र
· नजदीकी हवाई अड्डा: नासिक एयरपोर्ट (30 किमी)
· रेलवे स्टेशन: नासिक रोड
· विशेष पूजा: कालसर्प दोष निवारण, पितृ दोष शांति
मंदिर का प्रांगण प्राचीन वास्तुकला और गहरे आध्यात्मिक माहौल से भरा हुआ है।
इसी भावना से जुड़े विषय जैसे कलश स्थापना विधि पर भी विस्तार से जानकारी उपलब्ध है।
निष्कर्ष
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग न केवल भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, बल्कि यह स्थान गंगा अवतरण, कालसर्प दोष निवारण और शिवभक्ति का भी केंद्र है। सावन या किसी भी शुभ दिन यहाँ दर्शन करने से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होता है।
अगर आप आध्यात्मिक यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो नासिक का यह दिव्य मंदिर जरूर शामिल करें।