विष्णु पुराण अष्टादश महापुराणों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन ग्रंथ है। इसे ऋषि पराशर ने रचा था। यह ग्रंथ न केवल भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करता है, बल्कि इसमें सृष्टि, भूगोल, ज्योतिष, धर्म, कर्मकांड, राजवंश और भगवान कृष्ण के दिव्य चरित्र का भी विस्तार से उल्लेख है।
विष्णु पुराण का आकार सभी 18 पुराणों में सबसे छोटा माना जाता है, लेकिन इसकी गहराई और महत्व अद्वितीय है।
विष्णु पुराण का रचना काल और उद्देश्य
विष्णु पुराण के रचनाकार महर्षि पराशर थे, जो व्यास मुनि के पिता थे। इसकी रचना का मुख्य उद्देश्य था—
· भक्ति और ज्ञान के माध्यम से धर्म का प्रचार करना।
· लोगों को जीवन के उत्थान और आत्मिक शांति की राह दिखाना।
· कर्म, धर्म और मोक्ष का संतुलन समझाना।
विष्णु पुराण की संरचना
यह पुराण छह भागों (षडंशों) में विभाजित है और इसमें लगभग 7000 श्लोक उपलब्ध हैं। कुछ ग्रंथों में इसका उल्लेख 23,000 श्लोकों का भी मिलता है।
(1) प्रथम भाग
· सृष्टि की उत्पत्ति
· काल का स्वरूप
· ध्रुव, पृथु और प्रह्लाद की कथाएँ
(2) द्वितीय भाग
· लोकों का स्वरूप
· पृथ्वी के नौ खंड
· ग्रह-नक्षत्र और ज्योतिष संबंधी विवरण
(3) तृतीय भाग
· वेदों की शाखाएँ
· गृहस्थ धर्म
· श्राद्ध विधि
(4) चतुर्थ भाग
· सूर्यवंश और चंद्रवंश का वर्णन
· वंशावलियाँ और राजाओं की कथाएँ
(5) पंचम भाग
· भगवान कृष्ण का चरित्र और उनकी लीलाएँ
(6) षष्ठ भाग
· प्रलय का वर्णन
· मोक्ष का मार्ग
विष्णु पुराण पढ़ने और सुनने का फल
विष्णु पुराण का पाठ अथवा श्रवण करने से:
· मानसिक शांति और आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।
· पापों का क्षय होता है।
· भक्ति और धर्म की ओर झुकाव बढ़ता है।
· परिवार और समाज में सुख-शांति बनी रहती है।
विष्णु पुराण करवाने का मुहूर्त और नियम
शुभ मुहूर्त
विष्णु पुराण पाठ या कथा करवाने के लिए एकादशी तिथि, पूर्णिमा, और अधिक मास को विशेष शुभ माना जाता है।
नियम
· शुद्ध मन और पवित्र स्थान पर पाठ करना चाहिए।
· ब्राह्मण या विद्वान पंडित द्वारा इसका आयोजन करवाना उचित है।
· कथा के अंत में प्रसाद और भंडारे का आयोजन श्रेष्ठ माना गया है।
विष्णु पुराण में वर्णित प्रमुख कथाएँ
1. पृथु कथा – कृषि और समाज व्यवस्था की स्थापना।
2. ध्रुव कथा – भक्ति और आत्मिक उत्कर्ष का उदाहरण।
3. प्रह्लाद कथा – धर्म और सिद्धांतों पर अडिग रहने का प्रेरणादायक संदेश।
4. भगवान कृष्ण लीला – भक्ति मार्ग और दिव्यता का सर्वोत्तम उदाहरण।
विष्णु पुराण का धार्मिक महत्व
यह पुराण न केवल भगवान विष्णु की महिमा को दर्शाता है, बल्कि इसमें जीवन जीने की कला और धर्म का सार भी छिपा हुआ है। इसकी सरल और सुबोध भाषा ने इसे हर युग के लोगों के लिए प्रासंगिक बना दिया है।
“भक्ति को सिर्फ़ सुनने या पढ़ने का विषय नहीं, बल्कि जीने का माध्यम